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अंतिम पड़ाव

पूर्णविराम के बाद ही एक नए जीवन का आरम्भ होता है- तांडव ऋंखला का...

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युद्ध

युद्ध, चाहे शारीरिक हो या मानसिक, उसके दुष्परिणाम सभी को भोगने पड़ते है--तांडव ऋंखला...

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लीला

ईश्वर अपनी लीला करने के लिये किसी परिस्थिति या अवसर की प्रतीक्षा नहीं करते—...

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कपट से अर्जित ज्ञान

छल से अर्जित किए गए ज्ञान की दिशा केवल विनाश की ओर लेकर जाती...

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सबसे सुंदर क्षण !

हमारे जीवन में सुंदर क्षण, ईश्वर की इच्छा पर नही बल्कि हमारी इच्छा पर...

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पराजय में जय !

ईश्वर की कृपा और करुणा से पराजय भी जय में परिवर्तित हो जाती है—...

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आचरण का स्मरण

विकट परिस्तिथियों में भी अपने आचरण का स्मरण रखने से परिस्थितियों का स्वरूप बदल...

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अस्तित्व

चित्त और आत्मा का तर्क-वितर्क केवल अस्तित्व को लेकर होता है— तांडव ऋंखला का...

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प्रशंसा

स्तुति और प्रशंसा अगर सच्ची हो तो विनम्रता बढ़ती है, नही तो केवल अहंकार...

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चिंता

समस्या के समय चिंता ना करके, उसके समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए— तांडव...

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द्वन्द

मानसिक तनाव कभी शांति से सोचने की अनुमति नहीं देता— तांडव ऋंखला का ३०वाँ...

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माया

माया चक्र में फँस कर मनुष्य की बुद्धि, वास्तविकता देख नहीं पाती--तांडव ऋंखला का...

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मनोदशा

हमारी हर स्तिथि, हमारी मनोदशा पर निर्भर करती है--तांडव ऋंखला का २८वाँ प्रकरण

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इच्छायें

प्रसन्नता और समृद्धि में इच्छाओं की सीमा समाप्त हो जाती है--तांडव ऋंखला का २७वाँ...

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आसक्ति

आसक्ति का आरम्भ क्षणिक आनंद से होता है--तांडव ऋंखला का २६वाँ प्रकरण