इस जीवन रूपी सफर में हर कोई परेशानियों का सामना कर रहा है ।  हर किसी की अलग अलग दिक्कत होती है। किसी के पास पैसे तो बहुत है लेकिन परिवार में संतुष्टि अर्थात खुशी नही है तो कही इसका उल्टा किसी परिवार में पेसो की कमी भले ही हो लेकिन उनकी एकजुटता उसे भी हरा रहा ही है। आपको एक बात तो माननी होगी ऊपर वाला किसी के साथ भेद भाव नहीं करता सबको बराबर रखता है। दोष तो हमारा है  हम खुश रहना भूल गया है । संतुष्ट रहना भूल गया है । इससे बचा जा सकता है खुश रह कर । खुद से एक वादा कर के की जीवन मैं कैसी भी परिस्थिति आए  हमेशा  हम मुस्कुरा कर उसका सामना करेंगे।  खुश रहने के लिए की चाहिए आत्म संतुष्टि मतलब खुद में संतोष। कहने का मतलब है जितना मिला जो मिला  उसमे खुश रहे । मेरे पिता जी ने मुझेसे बहुत अच्छी बात कही की बेटा अगर जीवन मैं आगे बढ़ना है , कुछ करके दिखाना है तो अपने से उपर वालो को देखो और अगर जहां ही वही रहना है तो अपने से नीचे वालो को देख कर खुद को खुश रखो । की हम उनसे अच्छे है ।