एक दिन बहुत खुश थे हम 

दुख से कहा क्या हम भी 

आपके 

साथ चल सकते हैं?

मैंने कहा 

बिन आपके आनंद ही क्या  

और वह रोज ही आने लगा 

किसी मनचले की तरह ।

रोज उसका आना l

छुप छुपा कर 

जिंदगी में घर कर जाना। 1

ढूंढता हूं खुशी को 

हर गली हर नुक्कड़ में 

छिपी होगी कहीं किसी भूलभुलैया में 

ले ही आऊंगा उसे गिरते पड़ते 

पर जाना नहीं था मैंने

वो है बस,

मुझ में ही कहीं, मुझ में ही कहीं ।

जाना मैंने जाना इसको 

ढूढ़ने से मिलती किसको? 

बांटते रहो खुशबू मानिन्द फूलों के 

Aaबगिया मन की खिल जाएगी 

अतीत को भूल इस पल में जी लो 

जीने का हुनर आ जाएगा 

कुशलता से कर कार्यों को अपने 

अवश्य ही पूर्ण होंगे तेरे सब सपने 

मुस्कराहट को गिनता चल तू 

और आंसुओं को छोड़ दे। 

आज का आनंद मना ले 

और खुशियों को ओढ़ ले। 

खुशी इक सफर है, जीना है खुशी। 

निर्भर नहीं दूसरों पर, खुद में ही है खुशी