सुबह 10:00 बजे के आसपास सभी गौमाताऐ बाहरवाली गौशाला में आ जाती हैं| मुझे गौमाताओं का खुशी से कूदना और उन्हें खेलते हुए देखना बहुत आनंदित करता है। इसलिए अक्सर मैं भी गौशाला के नजदीक जाकर बैठ जाती हूं|
एक दिन मैंने देखा कि कुछ गौ माताऐ त्वरिता गौ माता को घेर कर खडी हैं ,और कुछ परेशान दिखाई दे रहे है,|ध्यान से देखने पर पता चला कि त्वरिता माता अपने जीवन रक्षा हेतु संघर्ष कर रही हैं क्योंकि उनके गले की रस्सी उनके पिछले पांव में फंसने के कारण वह भूमि पर गिर गई हैं ।रस्सी छोटी होने के कारण उनका शरीर अर्धचंद्राकार सा दिखाई दे रहा है।| त्वरिता माता हमारे आश्रम की शानदार गायों में से एक हैं।पिछले वर्ष 1दिसम्बर को उनके 8 दिन के बच्चे गनु की भी मुक्ति हो गई थी।
(स्वामी जी ने ही उन्हें त्वरिता नाम से सुशोभित किया था।)
श्री हरि भगवान की कृपा से तभी सामने से हमारे आश्रम के पुराने सेवादार पदमजी आते हुए दिखाई दिए, उनको देखते ही मैंने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया कि पदम भैया जल्दी आओ ,पदम भैया जल्दी आओ ।वह भी गौ माता की हालत को देखकर बहुत घबरा गए थे क्योंकि रस्सी गाय के खुर में बुरी तरह से फंसी हुई थी। यदि रस्सी को थोड़ा सा भी खींचा जाता तो गाय का दम घुट सकता था । लगभग 5 -6 मिनट के बाद पदमजी गाय के गले से रस्सी को खोलने में सफल हो गए ।
पदम जी की बुद्धिमत्ता और सूझबूझ से गाय के प्राण बच गए और हम बहुत खुश थे परन्तु गौमाता बहुत देर तक वही भूमि पर लेटी रही , शायद वह कमजोरी महसूस कर रही थी। बाद मे वह गौशाला के कोने में चली गयी क्योकि वह सदमे में थी|
यह घटना भी हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थी| क्योंकि भगवान जीवो की रक्षा हेतु किस रूप में प्रकट होंगे वह तो भगवान ही जानते हैं ।
मेरे हरि है दीनदयाल |⚘☺
आप सभी श्री हरि भगवान के प्यारों को मेरा बहुत बहुत आभार😊 मेरी प्रथम पोस्ट पर की गई आप सब की प्रेमपूर्ण और भावुक टिप्पणियों से ही मैं कुछ और लिखने का साहस कर रहीहूँ।
और विशेष आभार पूजा अय्यर जी को जिन्होने मेरी पोस्ट को संपादित करने में मेरी सहायता की है ।
अपनी त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ।
धन्यवाद