प्यारी सी मूरत है,
नटखट सी झलक है,                                   
मेरे श्री हरि  क्या बात बताऊ आपकी,
आपकी तो हर बात ही अलग है ।

याद आज आपकी बहुत आई है,
और आँखों में नमी लाई है,
आज आपके होठों की मुस्कान,
मेरे होठों पे भी मुस्कान लाई है।         

अलग अलग नामों से अक्सर मैं आपको बुलाती हूँ,
दिन भर मैं आपको इतना सताती हूँ, पर आप फिर भी मेरे साथ  रहते हो,
और मेरा यह हाथ हमेशा थामे रखते हो।

श्री हरि  आपके बिना तो हम बिखर  ही जायेंगे,
अगर सच बोलु तो भगवान आपके बिना तो हम मर ही जायेंगे,
अब माँगू भी तो क्या माँगू आपसे मेरे प्रभु, 
एक ही आशीर्वाद देना बस प्रभु,
जब जब भी जन्म लूँ , हरि भक्त ही मैं बनु।

रिया ओम ।