वो सुबह सुबह का समय हमने सोचा कि क्यों न आज भगवान नीलकंठ महादेव के दर्शन किए जाएं।ऋषिकेश से करीब चौबीस किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ियों पर बसा परम वैष्णवाचार्य भगवान भूतनाथ का दर्शन करना और वो भी पैदल चलकर जाने का विचार किया।सुबह ही नाश्ता करके निकल पड़ा।पैदल इसलिए कि मैं प्रकृति को करीब से निहारते हुए चलना चाहता हूं,नदियों को देखते, झडनो का संगीत सुनते उसका पानी पीते,कभी झडने में नहाते,कभी जंगलों मे जाकर वन के नयनाभिराम दृश्य को निहारते आगे बढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है।गाड़ी में पैक होकर जाना और आना कहीं न कहीं मेरे प्रकृति प्रेमी मन को सुहाता नहीं।
सुबह आठ बजे चला था,जगह जगह झडने का पानी पी लेता थोड़ी राहत मिलती।फिर चल देता लेकिन कहीं विश्राम नहीं किया बस चलता रहा।प्यास लगी जल पी लिया झडने का और चलता रहा।इस तरह जब लगातार ढाई घंटे से ज्यादा चला तो करीब अठारह किलोमीटर की दूरी तय कर ली।ये ठान लिया कि लक्ष्य तक चलता ही रहूंगा रुकूंगा नहीं।सूरज और तीव्रता से आसमान में चमक रहा था।गरमी की तपिश अपना प्रभाव दिखा रही थी।लगातार ढाई घंटे से भी ज्यादा चलने से और सूरज की गरमी से अब थकान होने लगी। मन ही मन विचार कर रहा था कि कोई सहयोग चाहिए ।पर मेरा मन थोड़ा हठी स्वभाव का है।किसी से मदद नहीं मांगना चाहता कभी और कोई करना भी चाहे तो जल्दी स्वीकार नहीं करता।शायद मेरे गुरुजी के स्वभाव का प्रभाव है ये।
तभी पीछे से एक युवा जो स्कूटर से उसी जगह जा रहा था जहां हमें जाना था उसने हमें आवाज दी ,”भाई चलना है,आओ स्कूटर पर बैठ जाओ।धूप बहुत है और आप थक चुके हो”।पहले तो मै सकपकाया। हमें सहज ही किसी का सहयोग लेने में बड़ी हिचक होती है।पर फिर सोचा कि कोई है जो हमारे अंदर ही बैठा हमारे विचारों को पढ़ रहा है वही शायद उसके अंदर भी है जो हमें स्कूटर पर बैठने का आग्रह कर रहा। मै उसी अंदर वाले की मर्जी समझकर उसके पीछे बैठ गया।कुछ ही देर में ऐसी घनिष्ट मित्रता हो गई लगा जैसे वर्षों से पहचानता हो।एक बिहार का ही युवा था और शिव जी के दर्शन को जा रहा था और लगभग मेरे ही जैसे विचारों वाला था।उसके साथ दर्शन भी किए और उन्होंने कभी हमें कोई खर्च नहीं करने दिया।भोजन भी कराया और वापिस हमारे ठिकाने के करीब लाकर छोड़ दिया।वैसे तो आजकल अनासक्त होकर जीने की प्रेक्टिस कर रहा हूं पर वो कौन है जो हमारे अन्तर्जगत में बैठा हमारे आइडियास को नोट कर रहा है वो कौन है जो किसी स्कूटर वाले के अंदर भी है और उसे भी वही करने को कह रहा जिस चीज की हमें जरूरत लग रही है????????कोई तो है वो