नमस्कार🙏

हे नाथ! मैं तुम्हें भूलूँ नहीं
हे मात! मैं तुम्हें भूलू नहीं

भूलूँ दु:ख-सुख जग के
काँटे फूल पग-पग के
रात्रि के मेरे स्वप्न भी तुम्हारे हों
चरण वंदन करूँ जग-जग के..

अंधियारा है, दृष्टि भी सुप्त सी है
दीप प्रज्जवलित दूर कहीं, जगह बड़ी गुप्त सी है
जिस पथ से भटककर लौट वहीं आया
न चलूँ फिर उस पथ पर यह भूलूँ नहीं

मैं चल लूँगा चाहे पैर थकें
मैं जल लूँगा चाहे अहम् मिटे
क्रंदन से भी तुम्हारा वंदन करूंगा, चाहे मृत्यु दिखे
हे नाथ! मैं तुम्हें भूलूँ नहीं
हे मात! मैं तुम्हें भूलूँ नहीं।

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

हे नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याण दायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को) सिद्ध करने वाली हो। शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो। हे नारायणी, तुम्हें नमस्कार है।

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