- आध्यात्मिकता
क्या ही सच्ची आध्यात्मिकता अजब हम दुनिया से समाज से, रिस्तो से परेशान हो कर भगवान की तरफ जाते हैं।
या जब हम कुछ ऋद्धि सिद्धि पाने के लिए किसी साधना या भगवान से जुड़ते हैं।
या जब हम निस्वार्थ भाव से भगवान से जुड़ते हैं।
तो क्या होता है ये निस्वार्थ भाव।
मुक्ति की इच्छा तो फिर भी रहती है ।मोक्ष की कामना तो फिर भी रहती है । हम आनंद की मांग तो फिर भी करते हैं।
अपने भगवान दर्शन की इच्छा तो फिर भी रहती है ।तो निस्वार्थ भावना क्या हुई।
- जब हम भी स्वयं को आध्यात्मिक कहते हैं तो ये प्रश्न उठता है की अभी भी कुछ प्राप्त करने की अगर इच्छा मन में ही तो, अगले प्रश्न ये जरूर उठना चाहिए की क्या हम सच मुच आत्मक आत्मा के पथ पर है या ये सिर्फ हमारा भ्रम है ।
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