हमने कभी सुन रखा था कि बैगन बेचने वाले को हीरे का मूल्य नहीं पता होता,क्युकी हीरे के महत्व का आंकलन तो कोई जौहरी ही कर सकता है।सिर्फ सुना ही नहीं इसे निजी जीवन में अनुभव भी किया है।हमारे समाज में अक्सर कहा जाता है कि हमें एक दूसरे से प्यार है लेकिन सच ये है कि सच्चा और आध्यात्मिक तल पर प्रेम करने वाला कोई मिल भी जाए तो उसे कोई झेलना नहीं चाहता।वैसे आजकल वासनात्मक लेन देन ज्यादा फल फूल रहा है और दुर्भाग्य से इसे प्यार का नाम दे दिया जाता है।
शादियों में सब लोग कहते हैं कि दो आत्माओं का मिलन हो रहा,अब हमें ये बात पचती नहीं क्युकी एक तरफ लडके की सैलरी देखी जाती है और दूसरी तरफ लड़की का सिर्फ शारीरिक सौंदर्य देखा जाता है।ये आपसी तन और धन का मिलना जाने किस तरह प्रेम बन गया और आत्मा का सम्बन्ध हो गया मेरी तो समझ नहीं आता।शरीर और धन देखकर एक दूसरे की ओर आकृष्ट होना ये प्रेम है या धंधा।प्रेम का सम्बन्ध हृदय से होता है जबकि इस नकली प्यार में या नकली वैवाहिक कार्यक्रम में पूरी की पूरी बुद्धि झोंक दी जाती है कि हमें अधिकतम लाभ कैसे मिले।सिर्फ और सिर्फ लेने की भावना रहती है और इसे प्रेम का नाम दे दिया जाता है।लोग सिर्फ चिल्लाते हैं कि दहेज लेना पाप है। मै भी मानता हूं गलत है लेकिन उसी पक्ष के लोग जब मोटी सैलरी और वासनात्मक लाइफ स्टाइल देखकर रिश्ता तय करना चाहते हैं तो कहीं न कहीं उनके एक पक्षीय नकली दलील पर सवाल खड़ा हो जाता है।कोई पैसे के बल पर दुनिया की वस्तुएं इकठ्ठी कर के दे सकता है पर सामने वाले के हृदय में आंनद का प्रसार नहीं कर सकता।क्युकी जो हृदय का विषय है उसे वस्तुओं की बहुलता से नहीं खरीदा जा सकता।a
एक लड़का था वो आध्यात्मिक प्रवृति का था,जिसे भगवान की कृपा से जीवन की सत्यता का भान हो चुका था।वो किसी लड़की से प्यार करता था,उसके प्रेम में वासना नहीं थी वो उसे ईश्वर का स्वरूप मानकर प्यार करता था।वो उस लड़की के हित के लिए सोचता और अपना दुख उठाकर भी उसके काम आने की सोचता।शायद यही प्रेम का स्वरूप भी है।वो सिर्फ धन कमाकर ही समाप्त नहीं होना चाहता था बल्कि एक सार्थक मनुष्य जीवन चाहता था इसलिए गीता पढ़ता था और लड़की को भी आध्यात्मिक तरीके से जीकर जीवन सार्थक करने की नसीहत देता था।कुल मिलाकर उसका एक दिव्य और पवित्र प्रेम था लेकिन लड़की ने आगे चलकर उसे धोखा दे दिया।क्यू जानते हो,,,,,,,क्यू कि लड़की को सिर्फ प्यार का एक पक्ष चाहिए था ।चुकी लड़का आध्यात्मिक सोच का था इस बात से लड़की को दिक्कत थी क्युकी अध्यात्म कुछ भी करने से मना करता है सिर्फ वही जो शास्त्र संवत हो वही करने की आज्ञा देता है।इस प्रकार लडके का सच्चा और पवित्र प्रेम धोखा खा गया जबकि लंपट जैसे प्यार का नाटक करने वालो की चांदी रहती है।कौन मा बाप ऐसा है जो किसी लड़के के इस विचार को देखकर रिश्ता तय करता होगा कि सामने वाला लड़का मेरी लड़की के मनुष्य जीवन को वास्तव में ऊंचाई तक ले भी जाएगा या नहीं,,,लडके का संस्कार,उसका ज्ञान,उसकी बौद्धिक क्षमता,जीवन के प्रति उसकी उदात्त सोच ,उत्तम स्वास्थ्य इत्यादि कुछ नहीं देखा जाता बस सैलेरी देखी जाती है और लड़की का केवल शारीरिक सौंदर्य ……बस इस तन और धन के मिलन को दो आत्माओं का मिलन और इस लेन देन को प्रेम नाम दे दिया जाता है।……
अन्ततः उस लड़के ने निश्चय किया कि अब वो प्रेम करेगा तो उस श्री कृष्ण से जिसके प्रेम में कभी बेवफाई नहीं होती।जिसके प्रेम मे कोई शर्त नहीं होती,जो कभी लेना नहीं बल्कि देना ही जानता है और ऐसी दिव्य वस्तु प्रदान कर देता है कि मनुष्य सदा सदा के लिए जीवन मुक्त होकर भगवद धाम का अधिकारी बन जाता है।प्रेम ही करेगा तो अब छोटा मोटा क्या सीधे परमात्मा से प्रेम करेगा…….इस तरह एक बड़ी प्रेम कहानी का आगाज उसके जीवन में शुरू हो चुका है।पाठक से आग्रह है कि उसे उस प्रेम पथ पर चलने का आशीष प्रदान करें🙏🙏🌳🌳🌿🌿🌹🌹🌻✨श्री राधे श्याम

क्या यही प्रेम है या सिर्फ लेन देन है…
बहुत अंतर है वासना और प्रेम में
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