जयकारा शेरावाली का बोलो सच्चे दरबार की जय… अंबे मां की जय गुरु मां की जय…..
।।श्री राधेश्याम।।
हेलो फैमिली आज हम भगवती मां दुर्गा की पूजा में अंत में बोली जाने वाली क्षमा प्रार्थना को जानेंगे वैसे तो मां अपने बच्चों की समस्त अपराधों को क्षमा कर देती है फिर वह तो देवी मां है परंतु शास्त्रीय विधि का पालन कर पूजा करने से शीघ्र अति शीघ्र फल प्राप्त होता है दुर्गा सप्तशती में अंत में बोली जाने वाली प्रार्थना से जाने अनजाने में किए गए सभी अपराध क्षमा हो जाते हैं
॥क्षमा-प्रार्थना॥
kshama prarthhna
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वारि॥१॥
हिंदी अर्थ :- परमेश्वरी मेरे द्वारा रात – दिन सहस्त्रों अपराध होते रहते हैं ‘यह मेरा दास है ’ – यों समझकर मेरे उन अपराधों को तुम कृपापूर्वक क्षमा करो॥१॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वारि॥२॥
हिंदी अर्थ:- परमेश्वरी मैं आवाहन नहीं जानता , विसर्जन करना नहीं जानता तथा पूजा करने का ढ़ंग भी नहीं जानता क्षमा करो ॥२॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥३॥
हिंदी अर्थ;- देवि सुरेश्वरी मैंने जो मन्त्रहीन , क्रियाहीन और भक्तिहीन पूजन किया है , वह सब आपकी कृपा से पूर्ण हो ॥ ३॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः॥४॥
हिंदी अर्थ:- सैकड़ों अपराध करके भी जो तुम्हारी शरण में जा ‘जगदम्ब’ कहकर पुकारता है , उसे वही गति प्राप्त होती है , जो ब्रह्मादि देवताओं के लिये भी सुलभ नहीं है ॥४॥
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरू॥५॥
हिंदी अर्थ:- जगदम्बिके मैं अपराधी हूँ , किंतु तुम्हारी शरणमें आया हूँ । इस समय दयाका पात्र हूँ । तुम जैसा चाहो , वैसा करो ॥५॥
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥६॥
हिंदी अर्थ:- देवि ! परमेश्वरी ! अज्ञान से , भूल से अथवा बुद्धि भ्रान्त होने के कारण मैंने जो न्यूनता या अधिकता कर दी हो , वह सब क्षमा करो और प्रसन्न होओ ॥६॥
कामेश्वंरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥७॥
हिंदी अर्थ:- सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि ! जगन्माता कामेश्वरि ! तुम प्रेमपूर्वक मेरी यह पूजा स्वीकार करो और मुझपर प्रसन्न रहो ॥७॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गुहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥८॥
हिंदी अर्थ:- देवि ! सुरेश्वरि ! तुम गोपनीय से भी गोपनीय वस्तु की रक्षा करनेवाली हो । मेरे निवेदन किये हुए इस जपको ग्रहण करो । तुम्हारी कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्त हो ॥८।।।
।श्रीदुर्गार्पणमस्तु।।
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