पिछले ही सप्ताह मै कैरियर गाइडेंस के लिए एक प्रोफेसर से मिलने गई थी। मै मास्टर की डिग्री ले चुकी हूं पर मुझे इसके बाद क्या करना है कुछ समझ नहीं आ रहा था। और एमएससी मे भी मैंने कोई खास पढाई मे ध्यान भी नहीं दिया था। जिसके कारण मेरे अंक भी बहुत कम आए थे। 61% इतना ही आया था।  स्कूल और bachelor degree मे ठीक ही प्रदर्शन रहा मेरा, इतना कम कभी नहीं आया था। और इसी दौरान मेरी खुद की ज़िन्दगी में इतनी परेशानी चल रही थी। मुझमें बिल्कुल भी कॉन्फिडेंस नहीं था। मुझे लगने लगा था कि अब आगे एमएससी का ही नंबर काम आएंगे और मै तो ऐसे ही बर्बाद हो चुकी हूं इसमें। मै कुछ नहीं कर सकती अब इस क्षेत्र में। यही सब सोचकर मै प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों में जुट गई। और फिर बीच मे ही उसको भी छोड़ दी। (इसकी भी अपनी अलग कहानी है)

मेरी बहुत बुरी आदत थी एक, मै कभी किसी से सलाह नहीं लेती थी। खासकर जो मुझसे बड़े है, ज्यादा जानकार है मै कभी उनसे खुलकर बात ही नहीं करती थी, अपने doubts नहीं पुछा करती थी। कोई सवाल ही नहीं करती थी।सब परिणाम मै खुद ही सोच लेती थी बिना कोशिश किए। अपने शिक्षक, प्रोफेसर, सीनियर्स से कभी आगे के कैरियर के बारे में कुछ नहीं पूछती थी। थोड़ी मेरी अहंकार के कारण के मुझसे सब हो जाएगा, मै सब खुद से पता कर लूंगी और बेवकूफी कि लोग क्या सोचेंगे मेरे बारे में और मै खुद भी शायद इतनी गंभीर नहीं थी इस बात को लेकर जितनी की आज हूं, नहीं तो शायद कुछ तो कोशिश जरूर करती।

ये बाते मुझे अपने बारे में अब समझ आने लगा है तो मैंने इस पर काम भी करना शुरू कर दिया है। की कम से कम कोशिश तो करके देखते है, जो भी होगा रिजल्ट, देख लेंगे। 

मै कई बार पूछना चाहती थी पर झिझक और अहंकार की वजह से जाकर सीधे पूछ नहीं पाती थी। मुझे हमेशा लगता था कि मै खुद से कर लूंगी, मुझसे सब अकेले ही हो जाएगा। मुझे किसी से पूछने की या सलाह की जरूरत नहीं है। यहां तक की मुझे अपने से बड़े लोगों को अनुभव भी नहीं दिखता था तब तो। हमारे यूनिवर्सिटी के HOD जो प्रोफेसर थे उनकी ही books सारे कॉलेज के छात्र पड़ते है , अगर उस समय ये ज्ञान होता तो उनके अनुभव और ज्ञान का लाभ ले सकते थे। पर तब ये सब दिमाग में आया ही नही कभी।

पिछले ही हफ्ते मै अपने यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से मिलने गई थी पर वहां कुछ विद्यार्थी गण ऑनलाइन परीक्षा की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। तो अंदर मुख्य द्वार से किसीको भी अंदर जाने को अनुमति नहीं दी जा रही थी।मै बहुत समय से खड़े वहां ये सब खत्म होने जा इंतजार कर रही थी पर ये सब बन्द होने का नाम ही नहीं ले रहा था। मै पास मे ही एक और कॉलेज है वहां के प्रोफेसर से जाकर बात करने का सोची। मै वहां पहुंची तो झिझक रही थी जाकर बात करूं या नहीं पर तय कर ली थी की बिना बात किए तो यहां से जाऊंगी नहीं चाहे डर लगे या ना। फिर अंदर जाकर सर से बात की तो उन्होंने मुझे दूसरे दिन का समय दिया। क्योंकि उस दिन वहा कोई मुख्य अतिथि आने वाले थे और सब उनकी तैयारी मे व्यस्त थे।

दूसरे दिन मै जब उनसे मिली तो मुझे सर बड़े सरल स्वभाव के लगे। उन्होंने मुझसे बड़े आराम से बात किया। मेरा पूरा परिचय लिया। मुझसे मास्टर के अंक पूछे, जब मैंने बताया तो थोड़ा चुप हो गए थे।  तो मैंने उनको सब सीधे सीधे बता दिया कि , मैंने पढाई नहीं किया था बिल्कुल भी इसीलिए इतने आए है लेकिन मेरा पिछला रिकॉर्ड ठीक है। वो फिर मेरे बाकी स्कूल और कॉलेज के अंक पूछे और सुनकर खुश हो गए थे। फिर gap करने का कारण पूछने लगे। मैंने सब बता दिया उनको और ये भी बताया कि अभी ज्वॉइन की हूं एक कॉलेज पर classes शुरु ही नहीं हुई है अबतक, वो वहां की सैलरी पूछे मैंने बता दिया वो भी। फिर घर और परिवार की हालत पूछने लगे। 

सर बात करते करते ही बाहर चले गए और थोड़ी ही देर मे वापस आकर कहने लगे खुशी से। देखो अब तुम यहां पढाना, प्रति लेक्चर वो इतना देते है , प्रतिदिन का इतना हो जाएगा और सैलरी इतनी होगी। प्राइवेट कॉलेज मै काम ज्यादा कराते है और सैलरी बहुत कम देते है। तुम अब आराम से class लेना, सैलरी भी इतनी बहुत है अभी शुरुआत में और अपनी अब पढाई मे मेहनत करना।

मुझे समझ नहीं आ रहा था वो क्या बोल रहे ? मैंने उनसे पूछा सर आप यहां क्लास लेने कि बात कर रहे है?, जॉब की बात कर रहे है? उन्होंने कहा अभी मै फोन मे तुम्हारे ही लिए बात करने गया था बाहर।

मै बहुत परेशान थी अपने कैरियर और जॉब को लेकर। जगह जगह रिज्यूम देकर आ रही थी अपना, यहां तक कि 6-10 क्लास के लिए भी मैंने कुछ स्कूल मै apply किया था पर वो लोग इसी बात से हैरान थे कि कॉलेज से स्कूल मै क्यों आना चाहती है आप। जॉब के बारे में तो कोई बात ही नहीं करते थे। और ना ही कोई फोन आया कहीं से भी।  और जिस कॉलेज मे ज्वॉइन की भी थी वहां की सैलरी बहुत ही ज्यादा कम उसमे भी वहा कोई क्लास ही चालू नहीं कर रहे है ये लोग तो वो भी नहीं था। कोचिंग क्लासेस के लिए भी जगह नहीं मिल पा रहा था मुझे। सब कुछ मुझे खुद सेही करना था अकेले । मै अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी पर कुछ भी काम मेरा नहीं बन रहा था।

मै सोच रही थी, मै यहां कैरियर गाइडेंस के लिए आयी थी और यहां इन्होंने मिनटों में मेरी सारी परेशानी ही दूर कर दी। जो दरवाजा मेरे लिए बंद हो चुका है समझ रही थी मै, सर ने उसका पूरा रास्ता ही बता दिया मुझे और जो जॉब की दिक्कतें थी मेरी वो भी हल हो गया और वो भी सीधे तीन गुनी ज्यादा सैलरी के साथ।

मुझे पता था कौन कर रहा है ये सब, पर मै शांत थी और मुस्कुरा रही थी । मुझे समझ ही नहीं आ रहा था क्या प्रतिक्रिया दूं उस समय।

सर ने खूब encourage किया। उन्होंने कहा कि बस अब मेहनत मे लग जाओ। ये पढाई एक तपस्या है कम से कम 3-4साल तुमको अपना पूरा 100% देना होगा और तुम आराम से कर लोगी। बहुत आगे जा सकती हो तुम । किताबें, मागदर्शन, परीक्षा की तैयारी और नौकरी हम पर छोड़ दो। तुम बस अपनी पढाई पर खूब मेहनत करना। यहां बाकी researchers aur scholors है तुम उनके साथ ही बैठकर तैयारी करना।

अंत मे सर ने बताया कि – उन्होंने कहा बेटा मै ऐसे किसी का नाम recommend नहीं करता पर जिस भाव से तुमने मुझे सब कुछ सच सच बताया अपने बारे में, जिस हौसले से तुम वापस आयी हो, मै काफी प्रभावित हुआ हूं तुमसे। मेरे अंदर से हुआ कि मै तुम्हारी मदद करूं। और ऐसे ही हमने कई बच्चो को आगे बढ़ाया है। आपको पहले आना था हमारे पास, दो साल ऐसे ही आपका जाने नहीं देते हम। और कभी किसी परीक्षा मे कुछ कम अंक आ गए तो उससे ज़िन्दगी तय नहीं होता। ज़िन्दगी में कभी भी देर नहीं होता। अभी तुम्हारे पास बहुत समय है, बस अब पूरी एकाग्रता और लगन से लग जाना अपने लक्ष्य मे। और फिर उन्होंने मुझे कुछ किताबे  देकर भेज दिया।  

और एक बात, उन्होंने इसी दौरान बहुत ही आसान सा एक दो सवाल पूछा मुझसे, पर मै उनका जवाब ही नहीं दे पायी। क्योंकि मै दो साल तो जब पढ रही थी तब ध्यान ही नहीं दी थी और अब तो ऐसे भी बुक खोलकर नहीं देखी थी। सर ने फिर भी बड़े प्यार से समझाया कि ऐसा नहीं है कि तुमको पता नहीं है, नहीं तो इतने अंक तुम्हारे नहीं आते। पर तुम इन दो सालों मे पूरा भूल गई हो बेटा, बहुत ज्यादा मेहनत करना होगा तुमको।  

वो कैरियर काउंसलर भी थे उस कॉलेज के और सालों से छात्रों को गाइड करते आ रहे है। 

जॉब का तो पता नहीं पर मेरा आगे का कैरियर का रास्ता मुझे स्पष्ट दिख रहा था। मै बहुत खुश थी।

मै उनको दिल से thank you बोलते हुए वहां से बाहर निकली बड़ी सी स्माइल के साथ। मुझे लग रहा था जैसे सालों से खोयी हुई वो स्कूल वाली आभा मुझे मिल गई हो पर इस समय और भी ज्यादा समझदार और सुलझी हुई, खुले विचारों वाली  और सच्चाई और साहस के साथ अपने स्वामी के पीछे पीछे चलने वाली।

मुझे मेरे स्वामी की बाते याद आ रही थी – truth brings kindness. 

– this world is full of kind people. 

 एक और खुशखबरी,  मुझे कल ही मेरे कोचिंग क्लासेस के लिए एक जगह भी मिल गया सुंदर सा, और शांत सा बिल्कुल मेरे पसंद का।

मुझे पता है कौन कर रहा है ये सब……😍😊😊

Thank you so much my dearest swami🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Swami❤️

Jai sri hari 😊🙏❤️

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद अपना कीमती समय देकर मेरे इस पोस्ट को पढने के लिए। बोर तो नहीं किया ना मैंने? 😄

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏😊