यमुना जी……….अपनी ऊंची कद काठी और काले -लाल दो रंग की चमकदार त्वचा के कारण बहुत ही आकर्षक लगती हैं|| जब वह अपनी बड़ी- बड़ी काजल लगी तिरछी निगाहों से देखती है ,तो बहुत रौबदार लगती है|| परंतु…. उनके पास जाने से डरते है हम, क्योंकि वह थोड़ी गुस्सैल स्वभाव की माता हैं,कपिला जी की मृत्यु के बाद वह शांत हो गई हैं। केवल कपिला जी से ही उनकी दोस्ती थी इसलिए कपिला मम्मा के जाने के बाद यमुना जी ने 4 दिन तक कुछ नहीं खाया,( अपनी पसंदीदा फल व सब्जियां भी नहीं)कपिला जी के बँधने के स्थान की ओर मुंह करके बैठी रहती व उदास होकर कुछ सोचती रहती।जी हाँ।।। कारण तो आप समझ ही गए ।
अपने किसी प्रिय को खो देने पर मनुष्य ने कभी 4 दिन का उपवास नहीं रखा होगा , हमारी यमुना जी तो दोस्ती की मिसाल है🥉।
अपनी सखी के प्रति इतना प्रेम|😍| उनके दु:ख को दूर करने के लिए कपिला जी की बेटी बालासुंदरी को उनके पास बांधा जाता है, परंतु मां का स्थान बेटी तो नहीं ले सकती ना ।🐂
वह बहुत अधिक संवेदनशील और ममतामयी भी हैं ।फरवरी माह में उन्होंने एक मृत बच्चे को जन्म दिया था। इस कारण बच्चे को वहां से तुरंत हटा दिया गया,उनको इसका एहसास था लेकिन यमुना जी ने कोई प्रतिक्रिया नही की, क्योंकि उनकी टांगे ठंड से सुन्न होने के कारण वह 2 दिन तक एक ही स्थान पर बैठी रहने को बाध्य थी| मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा (पशु चिकित्सक से उपचार के बाद )जब सुबह 11:00 बजे यमुना जी लड़खड़ाते हुई बाहर वाली गौशाला में गई और सब छोटे बच्चों के पास जा-जाकर उनको सूंघकर अपने बच्चे की तलाश करने लगी, परंतु……कुछ देर बाद निराश और हताश होकर वापस अंदर वाली गौशाला में चली गई और वहाँ व्याकुलता से अपने बच्चे को खोजने लगी।😢
अब लगभग 2 महीने बाद वह निर्मला जी को अपनी दूसरी सखी के रूप में देखती हैं|
मेरा आपसे अनुरोध है कि यदि आपके घर में भी कोई मूक जीव है तो उसकी भावनाओं को समझते हुए उसकी देखभाल करें क्योकि पशु   मनुष्य से अधिक भावुक व संवेदनशील होते है ।कृपया अनुभव अवश्य करें ।☺🙂🙂☺।
जय श्री हरि ☺।