भाग २
चलिए मठ में फिर से आते है। मठ के सभी साधु मौन क्रिया कर रहे थे लेकिन भोलू ज़मीन पर चितियों को ध्यान से देख रहा था। तभी वहां पर साधु माली आए।
साधु माली: मैंने तुमसे कहा था कि दूसरों के साथ ध्यान से मौन क्रिया करो। कहा था की नहीं?
भोलू: मैं कुछ ऐसा ही कर रहा हूँ। (गहरी सांस लेते हैं एकदम से उसके मुँह से मेंढक की कर्कश ध्वनि निकली।) ☺️
साधु माली: ये कैसी ध्वनि थी? मालूम परता है की तुम और पागल बनते जा रहे हो।😦
भोलू: कुछ भी तो नहीं। मैं तो बस…
साधु माली: बेशक, तुम किसी के शिष्य तो हो नहीं। कौन तुम्हें क्या सिखा सकता है और तुम किसी से क्या सीखोगे! वो तो खुद पागल बंजाएगा। 🤣
भोलू: 🥺🥺
साधु माली: छोड़ो! क्या तुमने रक्षक मेंढक को देखा है? वह अपनी जगह पर नहीं है। 🤔
भोलू: मैंने उसे खा लिया। 🥱
साधु माली: तुमने क्या? तुमने रक्षक मेंढक को खा लिया!😵😵
अन्य साधु लोग का ध्यान भंग हो रहा था। तो उन्होंने ऐसी तिरछी नज़रों से उन दोनो को देखा की सब समझ में आ गया।
साधु माली: तुम्हारा दिमाग तो पहले से ही बादलों में है। लेकिन रक्षक मेंढक को खाया ही क्यों?
भोलू: क्योंकि वह हरा था।
साधु माली: क्या मतलब की वह हराऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ था? 😤
भोलू : हम साधु हैं, हम केवल हरी चीजें खाते हैं !!
साधु माली: हमने मठ में तुम्हें केवल हरी चीजें खाने के लिए कही थी और वो सब्जियां होती है 🥗🥦🥬। ना की वह जो सब कुछ हरा हो। अब नियम १, ऐसा मत कूदो! हम शांत स्वभाव के है। 😌
भोलू: रक्षक मेंढक को अभ्यास की जरूरत है। इसे कूदना है।
साधु माली: तुम कैसे जानते हैं कि रक्षक मेंढक को व्यायाम की आवश्यकता है?
भोलू: क्योंकि रक्षक ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा है। वह मेरे पेट से बोलता है।
साधु माली: संरक्षक जीवित है! अभी निकालो उन्हें!
भोलू: वह कह रहे है कि नियम दो, अपने क्रोध को नियंत्रण में रखना सीख लीजिए!
साधु माली: अच्छा?🙄 मैं शांत ही हूँ! मैं तुम्हारा गुरु हूँ। मेरे साथ बहस मत करो!
जैसे यह बात साधु माली ने कहा, पूरे मठ के लोग का आश्चर्यजनक मुख देखने योग्य था। सभी लोग साधु माली और भोलू की ओर देख रहे थे।
भोलू: मुझे एक गुरु मिल गया! मुझे एक गुरु मिल गया!। (ऐसा कहते कहते वह साधु माली के चरणों में गिर गया)
साधु माली: ये मैंने क्या कह दिया! फूटी क़िस्मत मेरी! 😵 ठीक है, उस स्थिति में, हम तुम्हारे पेट को चीर कर रक्षक को बाहर निकाल लेंगे और तुम्हें वापस सिल लेंगे! तुम कुछ हफ्तों के लिए.. कुछ हफ़्तों के लिए क्यूँ, कुछ महीनों तक जम से आराम करना।
भोलू: जब आप मुझे चिर देंगे तो एक विनती है गुरु जी, मेरे दिल तक कातिएगा। मेरे दिल में देखकर आपको परमात्मा की छवि दिखेगी 🙏।
भोलू की इस बात को सुनकर साधु माली की आंखों में आंसू आ गए। तभी भोलू के मुंह से एकदम रक्षक मेंढक ने छलांग लगते हुए अपने तालाब में आराम से टेरने लगा!
Credits: Featured image created with Canva
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