23 जनवरी 2019 ……आज मैं कुछ अधिक खुश थी ।
क्यों?.. …..अरे भाई मेरा बचपन का सपना पूरा होने जा रहा था।( बर्फबारी देखने का)।
हम पहाड़ों पर जाने की योजना सदैव ठंड से भयभीत होकर रद्द कर देते थे|
जानकर .. कि राजगढ़ में बर्फबारी होती है,हमें राजगढ़ से 15 किलोमीटर दूर रिसोर्ट (Resort)का पता चला ।| राजगढ़ के बाद रिसोर्ट तक मार्ग में बर्फ की सफेद चादर बिछी थी|
रिसोर्ट में भी चारों ओर बर्फ ही बर्फ थी।कमरे में सामान रखने के बाद मैंने पूसा का हालचाल पूछने के लिए फोन किया ( उन दिनों उसकी तबीयत ठीक नहीं थी)। मैंने सोचा था ,राजगढ़ से लौटते समय हम उसकी दवाइयां ले आएंगे। पता चला कि पूसा बहुत अधिक पीड़ा से कराह रही है,सुनकर .. मेरा मन बेचैन हो गया ।मैं इसी उधेड़बुन में लग गयी कि कैसे वापस जाया जाए ,परंतु उस समय मुझे किसी और की भावना का भी ख्याल रखना था| (शायद जो मैंने नही रखा।)
तभी भगवान की कृपा से मुझे एक उपाय सूझा की ठंड का बहाना बनाया जा सकता है, मैंने वैसा ही किया ।
अति शीघ्र रिसोर्ट के कार्यालय में पहुंचकर मैने कमरे का 1 दिन का किराया( ₹6000 )चुका दिया । (यह सुनने के डर से कि तुमने रुपए बर्बाद करा दिये।( आप समझ ही गये होंगे)।
रिसोर्ट के कर्मचारियों वह मैनेजर ने बहुत समझाया कि कल बर्फबारी निश्चित रूप से होगी ,इसलिए आज न जाए ।परन्तु मुझे कुछ और नही, सिर्फ और सिर्फ पीड़ा से कराहती हुई पूसा का स्वर ही सुनाई दे रहा था|
रिसॉर्ट के मैनेजर ने 10 मिनट तक मुझे समझाने का असफल प्रयास किया ,अब मुझे उन्हें बताना ही पड़ा कि हमारी बिल्ली बीमार है और मुझे उसकी दवाइयां लेकर जाना आवश्यक है। उन सब ने मुझे कुछ अजीब निगाहों से देखा ।शायद वह मुझे पागल समझ रहे थे। हा हा हा।।
हम शाम तक पूसा की दवाइयां लेकर आश्रम पहुंच गए|
8 जनवरी 2020 की शाम ……4:00 बजे पदम जी ने मुझे बताया कि दीदी बाहर बर्फ पड़ रही है मैंने सोचा अधिक बरसात होने के कारण ओलावृष्टि हो रही होगी ।परन्तु दोबारा उनके वही शब्द दोहराने पर … उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए मैंने दरवाजा खोल कर देखा तो..तो..मेरी आंखें पलक झपकना भूल गई थी और टकटकी लगाकर देख रही थी कि यह क्या….हे.. मेरे ईश्वर . मेरे एक छोटे से सपने को पूरा करने के लिए .. आपने इतना कष्ट किया।
जी हां…..(35वर्ष बाद) आश्रम में बर्फबारी हो रही थी ।मेरी खुशी का क्या ठिकाना था आप समझ सकते हैं ।
नहीं नहीं….. आप नहीं समझ सकते।
शाम के 6:00 बजे तक 2 घंटे लगातार हम बर्फबारी का असीमित आनंद उठाते रहे| अब आप ही बताइए ,क्या यह सस्ता सौदा नहीं था ?
श्री हरि भगवान की कृपा से घर बैठे ही मेरा सपना पूरा हो गया ।
वाह.. मेरे भगवान वाह …आपकी रहमतों का जवाब नहीं|
जिक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का।
हमने खुद को सबसे खुशनसीब पाया|।
तमन्ना की थी एक छोटी सी|
खुदा खुद झोली भरने चला आया ।।
इससे सस्ता सौदा क्या हो सकता है ?आप ही बताइए ..
खुश रहिये, भगवान की छत्रछाया में मस्त रहिये ।।😍😍
।।जय श्री हरि||😍😍

सस्ता सौदा
बिन मांगी मुराद
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