कुछ वर्ष पहले की बात है। मैं साहिल नाम के एक मुस्लिम लड़के को ट्यूशन पढ़ाने जाया करता था ।मुझे उसके घर में कुछ दिनों के बाद एक नए शिक्षक से भेंट हुई जिसे वह हाफिज कहा करते थे। मैं देखता था कि हमारे ट्यूशन पढ़ाने से अधिक उसे उस हाफिज से ट्यूशन पढ़ाने में दिलचस्पी थी।उन लोगों का मानना था इस्लाम की कौमी तालीम देना अति आवश्यक है और वह ट्यूशन रखकर अपने बच्चे को कुरान की शिक्षा उर्दू की शिक्षा दिलवाने थे पर मैं तो जाता था स्कूल के सिलेबस को पढ़ाने के लिए।मुझे यह बहुत अच्छा लगा कि वह सिर्फ और सिर्फ गणित,विज्ञान की ही  शिक्षा ही नहीं पाते हैं,वह अपनी इस्लाम की तालीम भी पाते हैं जिसकी बदौलत अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं जिसकी बदौलत आज पूरे विश्व में उनका विस्तार हो रहा है।  

            अब दूसरी कहानी पटना की है मैंने देखा कि एक बगल की दीदी थी जिनका नाम सोनी मिश्रा था वह अपने बच्चे को दिन रात मेहनत करके ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार बोलना सिखा रही थी। हमने उनसे पूछा कि आप इतना ज्यादा हर रोज मेहनत सिर्फ ट्विंकल ट्विंकल सिखाने में करते हो क्या आपने कभी इससे कृष्ण नाम राम नाम लेना या कोई गीता के श्लोक सिखाया । उनके पास कोई जवाब नहीं था। इस मानसिकता को हम समझ रहे थे क्योंकि इन चीजों को आजकल बहुत समझा जाता है मैंने उनके ही भतीजे से गायत्री मंत्र बोलने को कहा जो करीब 10 साल का लड़का था उसे गायत्री मंत्र नहीं आ रहा था करीब आधे घंटे मेहनत करके मैंने उसे गायत्री मंत्र बोलना सिखाया आश्चर्य हुआ कि हम ब्राह्मणों की यह स्थिति है बिल्कुल धर्म से विमुख होकर जी रहे हैं इसीलिए तो हम सिमट सिमट आज इस कदर सिमट चुके हैं कि भारत में ही अब अपनी आखिरी सांसें गिन रहे हैं। हम तुलना करते हैं उनसे अपनी तो पाते हैं कि उनका विस्तार इतना कैसे हो हो गया और हमारा इतना पतन कैसे हो गया कि हम सिमट सिमट कर बिल्कुल छोटे और रह गए कभी हम अफगानिस्तान पाकिस्तान म्यांमार बांग्लादेश श्रीलंका और नेपाल को बिल्कुल दूर-दूर तक टच कर देते और आज यह सब हमारे देश से अलग हो गए कुछ तो कारण रहा होगा। माफ करना जो ऊपर मैंने कहानी बताई ना वह एक परिवार की नहीं है लगभग हर परिवार की यही कहानी है ।हमें बचपन से ही बेस्ट मनी मेकर बनने की सलाह दी जाती है हमारे रिश्तेदार हमारे घर वाले दिन रात हमें यही सपना दिखाते हैं कि तुम पढ़ कर कुछ ऐसा बन जाओ कि अधिक से अधिक धन कमा सको कोई अपने बच्चे को धर्म की शिक्षा आज देना नहीं चाहता।

       मैंने बहुत से स्टूडेंट को पूछा कि क्या तुम कोई पूजा पाठ या मंत्र जप करते हो तो उसका सीधा सा जवाब था कि भगवान तो दिल में ही रहते हैं तो फिर यह सब करने की क्या आवश्यकता है ।मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं कि कोई भी मुस्लिम यह नहीं बोल सकता कि अल्लाह तो दिल में ही रहते हैं या क्रिश्चयन यह नहीं कह सकता कि गॉड तो दिल में ही रहते हैं,फिर इबादत या प्रेयर की क्या जरूरत।यह जवाब सिर्फ हिंदू ही दे सकता है क्योंकि  हमारे दिमाग में बैठा दिया गया है कि धर्म करना शास्त्र पढ़ना या कोई अध्यात्मिक प्रैक्टिस करना यह सब फिजूल की बात है। हमने उससे पूछा कि अगर भगवान दिल में है तो क्या तुमने कभी इस चीज को महसूस किया है। हां यह सच है कि भगवान दिल में ही है पर उसे रियल आइज करने के लिए साधना करनी पड़ती है अगर आप शास्त्र नहीं पढ़ते हो अगर आप किसी गुरु के संरक्षण में नहीं हो अगर आप साधना नहीं करते हो तो आपका मनुष्य जीवन बेकार गया चाहे आप ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी में एक क्यों नहीं जी रहे हो।सत्य सार्वभौमिक होता है और उस पर किसी काल का प्रभाव नहीं पड़ता चाहे 21वीं सदी में जी रहे हो या 22 वीं सदी में जिओगे पर धर्म विमुख होकर के अगर जिए तो वह जीवन बर्बाद चला गया। मैंने किसी को दिया था श्री कृष्ण के बारे में पढ़ने के लिए एक पुस्तक उसने इसे एक बोझ समझकर फॉर्मेलिटी के तौर पर   थोड़ा बहुत पढ़ कर मुझे वापस कर दिया तब मुझे समझ में आया कि आज की शिक्षा प्रणाली जो है वह सिर्फ शिक्षा ही नहीं रहती बल्कि हमारे सनातन धर्म की जड़ काटने का काम भी करती है ।कहने को तो हम हिंदू हैं लेकिन हमें अपने सनातन धर्म कोई समझ नहीं रह गई।  आजकल मालूम नहीं हम कृष्ण से संबंधित बातें ना पढ़ना चाहते हैं ना सुनना चाहते हैं क्योंकि हमें एक ही चीज सिखा दी गई है अधिक से अधिक भोग भोग लो अधिक से अधिक पैसे कमाओ और यही कारण है कि पूरे विश्व में हमारा अस्तित्व लगभग मिटने के कगार पर है ।कुछ लोग कहते हैं कि दूसरों को जज मत किया करो मैं कहता हूं कि अगर किसी के अंदर धर्म रक्षा का भाव है तो जब तक वह जज नहीं करेगा तब तक सुधार करने की प्रवृत्ति उसके अंदर कैसे आएगी। कई सारे बच्चे हैं उनको आप पूछ लो भगवान श्री राम के माता का नाम क्या था तो वह बड़े स्टाइल से गर्दन हिलाते हुए बोलेंगे आई डोंट नो ।और यह नहीं जान में पर उन्हें शर्म नहीं होता बल्कि गर्व होता है कि मैं इतना मॉडर्न हूं कि मुझे इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं रह गया। हर मजहब वाले हर रिलीजन वाले अपने मजहब या रिलिजन के प्रति सजग रहते हैं और उनके नियम का पूरा पूरा पालन करते हैं पर हमारे लोगों को स्कूल से ही और घर में भी यही शिक्षा दी जाती है कि भगवान तो दिल में ही है और इस तरह से वह ना कभी शास्त्र पढ़ पाते हैं कभी कोई आध्यात्मिक प्रैक्टिस कर पाते हैं और उनका मनुष्य जीवन तो जाता ही है साथ ही हमारा सांस्कृतिक पतन का भी एक सबसे बड़ा कारण बनता है। कुछ लोग कहते होंगे कि मैं समालोचना खूब करता हूं ठीक है मुझे पिछले 8 साल से अपने सनातन धर्म के उत्थान के प्रति कार्य करने में जो दिलचस्पी जागृत हुई है वह शायद आगे भी बढ़ते ही रहेगी ।हो सकता है कि कुछ लोगों को मेरा यह धर्म उत्थान के प्रति दिलचस्पी अच्छी ना लगे पर कहीं ना कहीं यह कार्य तो हमें करना ही है क्योंकि मेरे ह्रदय की उपज है।मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि अगर स्कूल में शिक्षा देने के साथ-साथ धर्म की शिक्षा भी देनी प्रारंभ कर दी जाए तो जितने अपराध हैं 90% अपराध समाप्त हो जाएंगे और देश में एक बहुत बड़ी खुशहाली का माहौल शुरू हो जाएगा। जब इंडोनेशिया श्रीलंका और अरब जैसे देशों में हमारे रामायण की शिक्षा दी जा सकती है तो हमारे देश में क्यों नहीं आखिर  इन देशों के नेता मूर्ख तो नहीं है। उन्हें पता है कि जब रामायण की शिक्षा दी जाएगी तो सोच में क्रियाकलाप में और हर क्षेत्र में एक ऐसा परिवर्तन आएगा जिससे अपराध कम से कम होंगे और लोगों के जीने की पद्धति में अधिक से अधिक सुधार होगा। इस लेख को लिखने के पीछे बस मेरा यही मकसद था कि हम अपनी जड़ों को मजबूती से पकड़  ले क्योंकि जिस पेड़ की जड़ खोखली और कमजोर हो जाती है उस वृक्ष के गिरते देर नहीं लगती।आशु के शब्दों में थोड़ा तीखापन हो सकता है पर हृदय में अपने सनातन संस्कृति के प्रति एक महान करुणा भी संजोया हुआ है। जय श्री राधे श्याम।🌻🌻🌹🌹🌼🌼🌿🌿🌴🌴✨✨🌱🌱🥀🥀🌳🌳