हो रहे हैं अत्याचार यहां यह पृथ्वी फिर से कांपी है नरभक्षी भेड़ियों से यह दुनिया थर थर कांपी है
कहीं बलात्कार कहीं लूट और छोटी बच्चियों को भी न अब छोड़ा इन मानव रूप पिसाक्षो ने इस धरती पर अब क्या छोड़ा
हो रहे है धंधे काले सब अब बचा कहां ईमान है मुझको तो लगता है इस धरती पर अब न बचा कोई इंसान हैं
कब आओगे तुम अब सब नजरें तुम्हारी ओर है
हे चक्र सुदर्शन धारी तू बैठा अब किस ओर है
आकर अपनी दुनिया में इन नरभक्षो का संहार करो उठा सुदर्शन चक्र अब इस धरती का उद्धार करो
अब समय नहीं है द्वापर का यह कलयुग का इंसान है इस इंसान के अंदर बसता है आज बड़ा शैतान है
यह दुर्योधन कंस और राक्षसों से भी विकराल हैं यह मानवता की शत्रु आज दुष्ट और मक्कार है
हो करूणा सागर भक्तवत्सल ह्रदय प्रिय भगवान तुम अब कष्ट मिटाओ आकर हो छुपे कहां भगवान तुम
आज तुम ना आओगे तो यह दुनिया ललकारेगी हुई धर्म की हानि तो कैसे तुमको पहचानेंगी
कष्ट मिटाने आओ जरा बिगड़ी बनाने आओ जरा बड़ा पाप मिटा दो आकर चक्र सुदर्शन चला दो आकर
- आज के इस दौर में भगवान का कैसा सोना हुई धर्म की हानि तो मानवता को फिर रोना
आओ यादव यदुनंदन अब बस तुम्हारा ही इंतज़ार है कब होगा इस धरती पर पुनः तुम्हारा अवतार है
श्री राधेश्याम
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