जय श्री हरी ! परिवार !
शायद पिछले महीने या नवम्बर के महीने में मैंने हमारे OS.ME से एक ब्लॉग पढ़ा था की किस तरह “श्री बद्रिकाश्रम “ में बिल्ली के बच्चें हमारे प्यारे आश्रम का हिस्सा बन गए | आज मैं आपके साथ एक ऐसी ही घटना शेयर करने वाला हूँ | अगर कहानी बताने में कोई त्रुटि हो गयी हो तो क्षमा करना |
बात अक्टूबर महीने की हैं , मेरे पडोसी के घर में एक “स्ट्रीट डॉग “(भूरी) आती रहती थी,उसका नाम मैंने भूरी रखा ,brown रंग की थी न इसलिए! रात का डिनर वो हमारे पडोसी के यहाँ ही करती थी, फिर चली जाती , कभी -कभी जब वो लोग नहीं रहते तो मेरे घर के चौखट पर आ जाती ,तो अपना पूँछ हिलाती, तो भाई, स्वामीजी जी की बात याद आती और ब्लैक लोटस याद आता की RAK (Random Act of Kindness ) करने का अच्छा मौका मिला है , तो मैं उसको बिस्कुट दे देता था | यह सिलसिला चलता रहा , एक दिन मुझे पता चला की भूरी ने नन्हें-मुन्ने बच्चे दिए है , वो भी मेरे पडोसी के घर के चौखट के बाहर | अब जबकि भूरी माँ बन गयी वो किसी को भी अपने बच्चों के पास भटकने नहीं देती | पिल्ले वही रहते थे, अपने माँ के छत्रछाया में | मेरा ध्यान कभी उनपर नहीं गया | पर एक दिन ,सही से बताऊ तो 10 दिन बाद जब सुबह उठकर मैंने अपने घर का दरवाज़ा खोला , मैंने देखा की भूरी अपने बच्चों के साथ मेरे घर के बाहर है |
अब तो मैं सोच में पड़ गया यह क्या हुआ ? अचानक से भूरी ने घर कैसे बदल (change ) लिया | फिर मेरा ध्यान मेरे पडोसी के घर की ओर बढ़ा मैनें देखा की हमारे पडोसी आज बाहर साफ़ सफाई में लगे है भूरी के बच्चों ने इतना गंदा जो कर दिया था | अब हम पड़ गए भाई धर्म संकट में , क्या करू ?
पडोसी से पुछू की क्यों इसको मेरे घर के बाहर छोड़ा या फिर मौन रहू और चुप – चाप मैं भी भूरी को उसके बच्चों के साथ बाहर छोड़ आऊं |मेरा मन तो इतना कठोर रहा नहीं अब की अक्टूबर का महीना चल रहा है और ठंडी भी आने वाली है ,की इनको बाहर कर दू , “स्वामीजी के इतने वीडियो देखकर और ब्लोग्स पढ़कर ,एक ही चीज़ सीखी है ” KINDNESS “. तो चलो रख लेते है भूरी को|
पर यह बात इतनी आसान नहीं थी मुझे अपने भाईयों को भी मनाना था, दरअसल बात यह है की मैं , मेरा छोटा भाई और मेरे ममेरा भाई हम तीनो साथ में रहते है , सही तौर से बताया जाये तो हम बैचलर्स (bachelors ) रहते है |मैंने अपने भाईयो को मना तो लिया की भूरी को रखलेंगे, यह कहकर की घर में थोड़ी न रखना है बाहर इतना बड़ा चौखट है और गार्डन भी है रह लेगी और जैसे ही ठंडी खत्म हो जाए मैं खूद ही इन्हे बाहर छोड़ आऊंगा | तो अब भूरी और उसके बच्चों के लिए बाहर रज़ाई लगाया गया और एक कॉर्टून बॉक्स काटा गया बच्चों के लिए | अगर घर में स्त्री ना हो तो आप घर का हाल जानते ही है, हम तीनो के खाने का कोई समय निश्चित नहीं रहता जब मन किया तब खा लिया , या आर्डर कर लिया | ऊपर से अब भूरी और उसके बच्चों को भी देखना है ,उनको नाश्ता ,खाना सब सही समय पर देना है |
यही चिंता अब मुझे सताती थी, पर जब अगली सुबह मेरी आँख खुली , और जब मैंने घर का दरवाज़ा खोला, तो मैं आश्चर्येचाकित हो गया , बाहर दूध का पटेला भरा पड़ा है , बिस्किट्स (biscuits ) रखे हुए है और रोटी भी रखीं हुई मिली | वाह ” श्री हरी “ चमत्कार कर दिया आपने , मेरी तो टेंशन ही खत्म कर दी | दरअसल जिस दिन से भूरी और उसके बच्चे हमारे घर में आये उस दिन से हमारे सामने वाले अंकल, हमारे एक और पडोसी और भी कई लोग इनकी देखभाल करने लगे.| सिर्फ नाम के लिए भूरी हमारे घर के चौखट में रहती थी, उसके और उसके बच्चों के खाने-पीने का इंतज़ाम अपने आप हो जाता था सब उसे बहुत प्यार देने लगे | मेरे घर के गार्डेन में तो छोटे-छोटे बच्चों की भीड़ लग जाती थी. गली के सब छोटे बच्चे भूरी के बच्चों के साथ खेलने आ जाते | कभी -कभी, यही बच्चे अपने घर से दूध , बिस्किट्स यहाँ तक की सॉक्स (सॉक्स) भी लेकर आते थे, की कहीं भूरी के बच्चों को ठंड न लगे | यह सब देखकर मैं भी सोचता था, सही कहा है किसी ने की बच्चें भगवान का रूप होते है उनके मन में कोई कपट नहीं होता | बच्चों की टोली में से ही एक लड़की ने भूरी के बच्चों का नामकरण भी कर दिया | एक का नाम रखा गया FUDGE (फ़ज )| दूसरे का रखा गया OREO (ओरीयो ) और तीसरे का नाम था SHERU (शेरू )|
अब भूरी और उसके बच्चें हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुके थे | सब कुछ ठीक ही चल रहा था | दिवाली के एक हफ़्ते बाद , रविवार के दिन जब मैं पूजा करके बाहर आया, भूरी और उसके बच्चों से मिलने , मैनें देखा की भूरी चल बसी | वह चुप- चाप सोते सोते चली गयी | अब इन बच्चों का क्या होगा? आगे की बात फिर कभी बताऊंगा आप सभी को |
नीचे मैंने कुछ तस्वीर भूरी और उसके परिवार की डाली है , आपके लिए


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