घर में हमारे  यहां प्रसाद मे अक्सर लायचीदाना, फल्लीदाना ही लगता है। कभी कभी गुड़ शक्कर भी। क्योंकि अब जब मै पूजा करती हूं तो स्वामी और श्रीहरि भगवान ध्यान मे होते है। तो मुझे ये सब प्रसाद लगाना अच्छा नहीं लग रहा था। मेरे दिमाग में खटक रही थी ये बात।फिर मै सोचने लगी क्या बनाया जाए,क्या बनाया जाए। कुछ अच्छा होना चाहिए।उनके खाने लायक। ये शक्कर ,गुड़ अच्छे नहीं लग रहे थे मुझे।

मै किचन मे जाकर सोचने लगी। 💡 idea…. तिल के लडडू । ये सही रहेगा। स्वामी भी यही बनाते थे देवी मां के लिए।

मैंने पढ़ा भी था The book of faith मे , जिसमे रघु स्वामीजी ने बताया है स्वामीजी के तिल के लडडू वाली रेसीपी के बारे में। खासकर वो चासनी वाली भाग। Thank you so much Raghu swami 🙏🙏🙏🙏🙏.

मैंने किचन साफ कर लडडू बनाने की तैयारी शुरू कर दी। जब चासनी बनाने का समय आया तो मैंने  खास ध्यान इस बात का रखा था कि उसे धीमी आंच में पकाऊ, नहीं तो लडडू कड़े हो जाते। फिर भगवान के प्रसाद के लायक नहीं रह जाता। क्योंकि पहले मैं चासनी ही तो है , क्या फर्क पड़ता है सोचकर तेज आंच मे बना देती थी।

और लगभग एक घण्टे में लडडू बनकर तैयार हो गए। परफेक्ट बने थे,बिल्कुल कड़ा नहीं था। स्वामीजी जैसा बनाते होंगे,शायद थोड़ा सा …वैसे  ही बना होगा। बहुत थोड़ा। फिर भी ठीक था। 

मैंने मम्मी को excitement मे बताया देखो मम्मी कितना अच्छा बना है। मै उनको स्वामी जी के बारे में बताना चाह रही थी कि ये उनकी रेसीपी है।😀😀 पर वो सुनने से पहले बोल पड़ी हमसे तो हर बार अच्छा ही बनता है। हमलोग बचपन से इन सबमें expert हैं। तू ही ध्यान नहीं देती। कुछ नहीं सीखती मेरे साथ।😁

मैं चुप हो गई। उनको कुछ नहीं बताई उस समय।

कल जब वो प्रसाद खायी तो बोल रही थी सच मे इतने दिन हो गए ये पहले ही दिन जैसे लग रहे। है ना…. अच्छा बना है सच मे।

मैं तुरंत उनको खुश होकर बताने लगी हां मां। ये स्वामीजी की रेसीपी हैं। वो देवी मां के लिए ऐसे ही बनाया करते थे।  और फिर रघु स्वामी वाली story बताने लगी उनको । वो बोलती है last में, तभी अभी तक नरम है,और अच्छे बने है। हमलोग से ऐसा नहीं बन पाता।😀😀 मैंने कहा उनको, वहीं तो मै बताना चाह रही थी …लेकिन आप सुनी ही नहीं मेरा उस दिन 😄

See , our swamiji is best at this skill too.

Masterji you are the best in everything.

Swami❤️🙏.