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कई वर्षों बाद जब मैं बीमार पड़ा
जिसकी वजह से मैं थोड़ा परेशान हो गया था
और मेरी मां ने मुझे डूबने से बचाया
मर मर के जीना भी कोई जीना है
खुशियां किसी व्यक्ति या वस्तु का मोहताज भी नहीं
जिनके जीवन से हमने कुछ सीखा
मेरी दिनचर्या, जो मुझे फिट रखती है
सिर्फ वही नियम जो मैं अवश्य करता हूं
क्या प्रकृति का दोहन करना ही विकास है
जिसने मुझे एक तिलस्मी संघर्ष का हिस्सा बना दिया
सच्चाई जानते हुए भी अपने सिद्धांत पर जीते हैं