
Sadhvi Shraddha Om
I wish I could have said, I am a flawless monk but alas I have been forbidden to lie :). So here I am a laughing monk full of flaws. My laughter as well as my flaws is all grace that I have received over the years. I was initiated by Sri Om Swami in 2018 into Sannyasa. Now, all my efforts are towards becoming flawless - so wish me luck!
Sadhvi's writings
अंतिम पड़ाव
पूर्णविराम के बाद ही एक नए जीवन का आरम्भ होता है- तांडव ऋंखला का...
युद्ध
युद्ध, चाहे शारीरिक हो या मानसिक, उसके दुष्परिणाम सभी को भोगने पड़ते है--तांडव ऋंखला...
लीला
ईश्वर अपनी लीला करने के लिये किसी परिस्थिति या अवसर की प्रतीक्षा नहीं करते—...
कपट से अर्जित ज्ञान
छल से अर्जित किए गए ज्ञान की दिशा केवल विनाश की ओर लेकर जाती...
सबसे सुंदर क्षण !
हमारे जीवन में सुंदर क्षण, ईश्वर की इच्छा पर नही बल्कि हमारी इच्छा पर...
पराजय में जय !
ईश्वर की कृपा और करुणा से पराजय भी जय में परिवर्तित हो जाती है—...
आचरण का स्मरण
विकट परिस्तिथियों में भी अपने आचरण का स्मरण रखने से परिस्थितियों का स्वरूप बदल...
अस्तित्व
चित्त और आत्मा का तर्क-वितर्क केवल अस्तित्व को लेकर होता है— तांडव ऋंखला का...
प्रशंसा
स्तुति और प्रशंसा अगर सच्ची हो तो विनम्रता बढ़ती है, नही तो केवल अहंकार...
चिंता
समस्या के समय चिंता ना करके, उसके समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए— तांडव...
द्वन्द
मानसिक तनाव कभी शांति से सोचने की अनुमति नहीं देता— तांडव ऋंखला का ३०वाँ...
माया
माया चक्र में फँस कर मनुष्य की बुद्धि, वास्तविकता देख नहीं पाती--तांडव ऋंखला का...
मनोदशा
हमारी हर स्तिथि, हमारी मनोदशा पर निर्भर करती है--तांडव ऋंखला का २८वाँ प्रकरण
इच्छायें
प्रसन्नता और समृद्धि में इच्छाओं की सीमा समाप्त हो जाती है--तांडव ऋंखला का २७वाँ...
आसक्ति
आसक्ति का आरम्भ क्षणिक आनंद से होता है--तांडव ऋंखला का २६वाँ प्रकरण